शब्द भी लिखे पुरुष के त्याग भाई के पवित्रता और निश्छल पिता के प्रेम पे। शब्द भी लिखे पुरुष के त्याग भाई के पवित्रता और निश्छल पिता के प्रेम पे।
मंज़र की चाहतों पर, पहरा समाज क्यों है ? मंज़र की चाहतों पर, पहरा समाज क्यों है ?
शायद हद से ज्यादा ही उसे चाहा था, तभी ये अंजाम हमें मिला था। शायद हद से ज्यादा ही उसे चाहा था, तभी ये अंजाम हमें मिला था।
तन्हाई में ये दिल अकेला पड़ जाता है! तन्हाई दूर करने के लिए एक तन्हा दिल ही काम आता है! तन्हाई में ये दिल अकेला पड़ जाता है! तन्हाई दूर करने के लिए एक तन्हा दिल ही काम आ...
अपने-अपने युद्ध हैं, अपने-अपने हैं व्यूह। अपने-अपने युद्ध हैं, अपने-अपने हैं व्यूह।